ईरान ने इजरायल पर तंज करते हुए कहा है कि वह हमारे हमलों से पस्त आ गय था। उसके पास दूसरा कोई रास्ता नहीं बचा था। ऐसे में वह अपने ‘डैडी’ के पास भाग निकला। बता दें कि अमेरिका ने ईरान और इजरायल के बीच सीजफायर कराया था।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ईरान के विदेश मंत्री अराघची से बात की और ईरान-इजरायल संघर्ष पर चर्चा की। उन्होंने ईरान का धन्यवाद किया कि उसने भारतीय नागरिकों को सुरक्षित निकालने में मदद की। अमेरिका के...
लोनी के तिलक राम कॉलोनी का निवासी रिजवान हैदर, जो ईरान में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा था, युद्ध में फंसने के बाद घर लौट आया है। उसने बताया कि युद्ध के दौरान बमबारी में उसके हॉस्टल का ध्वस्त होना और...
अटकलें लगाई जा रही हैं कि ईरान ने हमलों से पहले अपने यूरेनियम का अधिकांश हिस्सा स्थानांतरित कर दिया था, ऐसा कुछ जो उसने संयुक्त राष्ट्र परमाणु निगरानी संस्था, IAEA को बताया था, कि वह ऐसा करने की योजना बना रहा है।
इधर खबरें आ रही हैं कि ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई को इजरायल के साथ युद्ध समाप्त करने संबंधी बातचीत और अमेरिका के साथ युद्वविराम वार्ता में पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया था। जब ये वार्ता हो रही थी थी तब खामेनेई बंकर में छिपे थे।
इजरायल और ईरान के बीच छिड़ी जंग के बीच पाकिस्तान ने ईरान से सटी अपनी सीमाएं बंद कर दी थीं। इस दौरान भारत ने ईरान के चाबहार बंदरगाह को सुरक्षित रखने के लिए कूटनीतिक स्तर पर दोनों पक्षों से बातचीत जारी रखी। भारत ने चाबहार पोर्ट की सुरक्षा भी सुनिश्चित की।
ईरान-इजरायल के बीच 12 दिनों की जंग के बाद अमेरिका ने दोनों पक्षों की तरफ से सीजफायर की घोषणा की थी। इससे पहले अमेरिका ने इस जंग में कूदते हुए 22 जून के ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर 30,000 पाउंड के भारी बम गिराए थे।
ऑपरेशन ईगल क्लॉ के तहत नौसेना के आठ हेलीकॉप्टर और वायुसेना के छह विमानों को ईरान भेजा गया। हालांकि रेतीले तूफान के कारण एक हेलीकॉप्टर सी-120 के ईंधन भरने वाले विमान से टकराने के कारण आठ सैनिकों की मृत्यु हो गई और मिशन रद्द हो गया।
फैमिली के 11 लोग इजरायल के हमले में मारे गए हैं। इस तरह उनका पूरा परिवार ही एक झटके में समाप्त हो गया। यह हमला सोमवार को ईरान और इजरायल के बीच हुए सीजफायर से ठीक पहले हुआ था। यह फैमिली की ही बदनसीबी थी कि सीजफायर से ठीक पहले हमला हुआ और वैज्ञानिक की मौत हो गई।
इजरायल और ईरान के बीच 12 दिनों तक चले संघर्ष के बाद सीजफायर लागू हो गया है। इस बीच अयातुल्ला अली खामेनेई किसी भी तरह की चूक नहीं होने देना चाहते हैं और इसीलिए विरोध के स्वर उठने से पहले ही उन्हें शांत करने की कोशिशें जारी हैं।