ईरान से मदद का कोई संदेश नहीं मिला, आसिम मुनीर और ट्रंप में मीटिंग के बाद पाक के क्यों बदले सुर
पाकिस्तान की तरफ से कुछ दिन पहले ईरान के लिए इजरायल पर हमला करने तक के दावे किए गए। अचानक पाक के सुर बदल गए हैं। उसने कहा कि अभी तक ईरान से उसे मदद का कोई संदेश नहीं मिला।

पाकिस्तान ने बृहस्पतिवार को कहा कि उसे इजरायल के खिलाफ चल रहे युद्ध में ईरान से किसी भी "सैन्य सहायता" के लिए कोई अनुरोध नहीं मिला है। पाकिस्तान ने, हालांकि इस बात पर भी जोर दिया कि इस्लामिक गणराज्य को अपनी रक्षा करने का अधिकार है। पाकिस्तान का यह बयान ऐसे वक्त में आया है, जब कुछ घंटे पहले पाक जनरल आसिम मुनीर का वाइट हाउस में डोनाल्ड ट्रंप ने स्वागत किया। दोनों ने साथ में लंच किया और लंबी बातचीत की। पाकिस्तान का ईरान को लेकर यह बयान इसलिए भी चौंकाने वाला है, क्योंकि कुछ दिन पहले ऐसे दावे किए गए थे कि पाकिस्तान ईरान के लिए इजरायल पर परमाणु हमले से भी नहीं चूकेगा।
पाक विदेश कार्यालय के प्रवक्ता शफकत अली खान ने प्रेस वार्ता में कहा, ‘‘ईरान पर पाकिस्तान की स्थिति स्पष्ट और पारदर्शी है। हम ईरान को पूर्ण नैतिक समर्थन प्रदान करते हैं, हम ईरान के खिलाफ आक्रामकता की कड़ी निंदा करते हैं।’’
खान ने कहा कि ईरान की सीमा से लगे पाकिस्तान में वहां के शरणार्थियों को शरण देने के लिए तेहरान से कोई अनुरोध नहीं मिला है। उन्होंने कहा, ‘‘ईरान ने हमसे अब तक किसी भी तरह की सैन्य सहायता नहीं मांगी है।’’ खान ने कहा, ‘‘ईरान को संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत अपनी रक्षा करने का अधिकार है।’’
उन्होंने कहा कि 21 मुस्लिम देशों ने एक संयुक्त बयान जारी कर ईरान के खिलाफ इजरायली आक्रमण की निंदा की है और इजरायली कार्रवाई को अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के खिलाफ बताया है। प्रवक्ता ने कहा कि ईरान की स्थिति पाकिस्तान के लिए गंभीर चिंता का विषय है और उन्होंने इजरायल के हमलों को रोकने के लिए कहा। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान, ईरान-इजरायल संघर्ष के लिए बातचीत के जरिये समाधान का समर्थन करता है।
ईरान-इजरायल में मध्यस्थता की कोशिश
खान ने कहा कि उपप्रधानमंत्री इशाक डार ने ईरान, तुर्की, मिस्र, संयुक्त अरब अमीरात और ब्रिटेन के विदेश मंत्रियों के साथ टेलीफोन पर संपर्क किया और इस बात पर प्रकाश डाला कि ईरान के खिलाफ इजरायल की कार्रवाई से इस क्षेत्र में और इससे इतर भी खतरनाक प्रभाव पड़ सकते हैं।
प्रवक्ता ने इस बात पर भी जोर दिया कि ईरानी परमाणु ठिकानों को निशाना बनाना अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा अभिकरण सुरक्षा उपायों और अन्य अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन है।
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